जब से हमारे देश में, पाश्चात्य देशों की संस्कृति का ,युवा वर्ग द्वारा, भ्रामक प्रचार- प्रसार के झांसे में आकर अंधानुकरण प्रारंभ किया है, अर्ध नग्नता, बेशर्मी और खाने- पीने की वस्तुओं ने अपने जाल में फांस लिया है।फटी हुई जींस से झांकता जिस्म इन तथा कथित शिक्षित युवाओं को कितना असभ्य बना कर छोड़ दिया है ,यह किसी से भी छुपा हुआ नही है?खाने पीने की वस्तुओं में देखें तो पिज्जा ,बर्गर , मोमूस, मैगी, चाइनीज फूड और न जाने क्या -क्या बाजारों में तो उपलब्ध है ही ऑन लाइन पर ऑर्डर करें तो घर बैठे लड़का आ कर समयावधि में आपकी सेवा में प्रस्तुत कर देगा!
सबसे अहम बात तो यह है कि हम जिस प्राकृतिक माहौल में निवास करते हैं ,जिस देशी भोजन के आदि हैं,हमारे भारतीय समाज के रक्त में रचे बसे भोज्य पदार्थ जो अत्यंत ही मधुर पोष्टिक और स्वास्थ्य वर्धक होते हैं उनको तो मिलावटी सर्पों ने अपने स्वार्थ पूर्ति के चलते विषैला कर दिया है! वहीं इन विदेशी खाद्य पदार्थों ने हमें अस्पतालों में बैठे अपने ही स्वार्थी असुर डॉक्टरों के हाथों अपने प्रभावित अंगों की महंगी सर्जरी करने का कुअवसर प्रदान कर दिया है।
यह बात भी सही है की पाश्चात्य देशों की जलवायु हमारी जलवायु से पूरी तरह भिन्न है। हो सकता है उन लोगों के लिए यह सब खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य वर्धक हों !लेकिन हम भारतीयों के लिए तो वाकई में यह सब जान लेवा ही साबित हो रहे हैं।यह भी हो सकता है कि यह हमारी युवा शक्ति को कमजोर करने की अप्रत्यक्ष साजिश की जा रही हो?
सरकार मोटे अनाज या मिलेट्स को क्यों प्राथमिकता दे रही है उसके पीछे कहीं न कहीं यह कारण भी हो सकता है।युवा शक्ति को भी इस संबंध में गंभीरता से सोचना चाहिए।
रसना अर्थात जीभ के चटोरे स्वभाव की चपेट में आया इंसान विवेकहीन हो जाता है!मैने देखा है इन होटलों,ढाबों, फूड पार्लरों में भोजन बनते हुए।किस गंदे तरीके से इनको बनाया जाता है? उच्च ताप पर बनाए गए तेज मिर्च, गरम मसाला युक्त खाना व्यक्ति की रसना को तो तृप्त कर देता है।
मगर उसका दंड उन निर्दोष आंतों और अंगों को भोगना पड़ता है जो खामोशी से आपके द्वारा किए गए स्वादिष्ट अत्याचार को झेलते हैं और अंततः जवाब दे देते हैं!दुष्परिणामों में पहले बदहजमी,फिर हजम करने के लिए एलोपैथी का विष जो अन्य अंगों को भी सुस्त कर देता है, गैस का सिलेंडर! बना इंसान चुपचाप लुटता रहता है।स्वयं के द्वारा की गई गलतियों का दोष किसे दें?इसीलिए खामोशी से सब सहन करता है।
वैसे देखा जाए तो इस दुर्गति में पूरी सहभागिता वर्तमान व्यवस्था की ही मानी जानी चाहिए जिसने आज युवा वर्ग को गलत राह चुनने के लिए प्रेरित किया और जीवन को दुष्कर बना दिया!मिलावट के इन नागों को मूक समर्थन देकर!
फूड इंस्पेक्टर का पद सरकार द्वारा बनाया गया है, मगर यह पूरे देश में कहीं भी नजर नहीं आते!यह पद इतना मलाईदार है कि इस पद पर बैठा व्यक्ति चारों ओर से मालामाल रहता है।
कोई रिस्क नहीं होती।लोग मरे तो मरे!बड़ी- बड़ी कंपनियों के उत्पादों में केमिकल की मिलावट कर हम भारतीयों को महंगे भाव में परोसा जा रहा है। हम भी स्वाद के चक्र में फंस जाते हैं।इन पर किसी प्रकार का कोई अंकुश न होना कहीं न कहीं सोचने को बाध्य करता है।
सवाल बनता है कि आखिर इस अराजकता पर कब अंकुश लगेगा।या यूं ही हम भारतीय इस मीठे जहर को खाने के लिए मजबूर रहेंगे?हमारे बच्चे इतने चालाक नहीं हैं बुद्धिमान तो हैं मगर भोले हैं।इनका जीवन नर्क मत बनाइए जंक फूड के नाम पर जहर मत खिलाइए।युवा वर्ग से अपील करुंगा कि एक बार गुगल बाबा से "अजिनोमोटो" के बारे में अवश्य पूछ लें कि यह केमिकल क्या होता है और इसके क्या गुण धर्म हैं? यही केमिकल आप को इन फास्ट फूड में मिला कर दिया जा रहा है!जागो सोने वालों
पंकज शर्मा "तरुण"
सेवा निवृत्त वन क्षेत्रपाल (म.प्र.वन)
मोती महल,गायत्री नगर
पिपलिया मंडी जिला मंदसौर (म.प्र)
पिन 458664 मोबा- 9424864075