जिंदगी के सफर मे सबसे प्यारा सफर बचपन का होता है। अगर कोई पूछे क्यो? क्या खास होता है? तो इसकी जबाब मे कुछ कहा नही जा सकते, क्योकि ये वो पल होता है जब बच्चा कुछ नहीं जानते है सिर्फ माँ-बाप और दादा-दादी के प्यार, दुलार मे पलता रहता है। एक छोटा सा बच्चा दिन भर बड़ो के गोदी मे बैठकर प्यार पाता, और रात मे माँ से लोरी सुनकर सो जाता हैं।
और जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है हर रोज उसके पिता उसे स्कूल के लिए तैयार करते हैं, माँ खाना बनाकर उसे अपने हाथ से खिलाती और फिर पिता के संग स्कूल जाता-आता, स्कूल से आने के बाद दादी के साथ बैठकर खाना खाता और दादा संग शाम को घूमने जाता है और बाजार से खिलौना खरीदता।
फिर घर आकर उस खिलौना से खेलता। पिता जब रात में आते तो बच्चे को प्यार, दुलार करते और साथ मे खाना खिलाते और रात मे दादी के पास सोते और उनसे मजेदार कहानियाँ सुनते सुनते सो जाते। क्या ऐसी बचपन हम दोबारा कभी जी पाते हैं नही समय के बाद हम बड़े हो जाते हैं, फिर कोई गोद मे ना उठाता, मुँह में खाना ना कोई खिलाना, हम माँ से लोरी नही सुन पाते और ना ही दादी से कहानियाँ सुन पाते इसलिए तो कहते हैं :-
बचपन की यादें,
होती हैं बहुत खास,
दादा-दादी की कहानियाँ,
होती हैं बहुत खास,
सिखाती है लाखों बाते,
मस्ती-मजा मे,
इसलिए होती हैं बहुत खास
ये मेरे बचपन का किस्सा है,
मेरी जिंदगी की हिस्सा हैं।।
मुस्कान केशरी
मुजफ्फरपुर बिहार