स्वप्न की डगर से तुम
मखमली,कोमल से तुम
दबे एहसासों को जीवंत करते तुम
पहर,दोपहर मेरी यादों का किस्सा तुम
जलते दीपक की लौ तुम
रात का खिलता चांद तुम
थकान में भी आराम तुम
कांटों के बीच खिलता गुलाब तुम
भरी दोपहरी रेगिस्तान में
पानी का झील तुम
ठिठुरते ठंड में मेरी रजाई तुम
पतझड़ में हरियाली तुम
लाखों झूठ में एक सच तुम
उदासी में मेरी मुस्कान तुम
हजारों धोखे में एक विश्वास तुम
एकांत में भी मेरी भीड़ तुम
सुबह की पहली किरण तुम
पत्तों पर पड़ी ओस की बूंद तुम
मेरे धड़कते दिल का साज तुम
मेरे जीवन के गीत संगीत तुम
मेरी हर होशियारी सिर्फ तुम
मेरी नैय्या की पतवार तुम
मेरा सहारा तुम
मेरी डगर तुम
मेरी नगर तुम
मेरा हर्षोल्लास तुम
मेरा त्यौहार तुम
मेरी आरजू तुम
मेरी चाहत सिर्फ तुम.....निर्मला की कलम से
निर्मला सिन्हा (स्वतंत्र लेखिका)
ग्राम जामरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़