फूलों की दुनिया का राजा,
खूबसूरती में लाजवाब हूॅं,
मैं गुलाब हूॅं।
छूना मुझको ज़रा प्यार से,
नाज़ुक मेरा अंग अंग है।
वरना टूट बिखर जाऊंगा,
गर्दन मेरी ज़रा तंग है।।
मैं शरमाई सी बैठी हुई,
मोहतरमा का जैसे हिजाब हूॅं,
मैं गुलाब हूॅं।
खुशबू मेरी बरबस ही यूॅं,
मोहब्बत पैदा करती है।
मुझसे ही तो जवां दिलों की,
प्यार की दुनिया सॅंवरती है।।
मैं दो प्रेमी को इक दूजे का,
इज़हारे इश्क़ का जवाब हूॅं,
मैं गुलाब हूॅं।
मेरी अपनी दुनिया कैसी है,
देखो काॅंटों के बीच खिला हूॅं।
गैरों को खुशियाॅं देने ख़ुद,
तकलीफ़ों से रोज़ मिला हूॅं।।
तपती रेगिस्तान के लिए,
ठंडक लाया महताब हूॅं,
मैं गुलाब हूॅं।
रचनाकार
तुषार शर्मा "नादान"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
tusharsharmanadan@gmail.com