सच्चा मीत वही होता है जो मन की बात पढ़ ले,
मौन में मुखरित शब्दों को निज भावों से गढ़ ले।
सच्चा मीत वही होता है जो प्रतिक्षण साथ निभाये,
पोंछ आँसुओं की लड़ियाँ दृग मुक्ताहल मढ़ दे।
रिश्तों के अवसादित बँधन से इतर हो रिश्ता प्यारा,
उर वीणा में झंकृत हो जहाँ प्रीत का धवल उजियारा।
चुन चुनकर कंटक राहों के पराग कण वह जड़ दे,
सच्चा मीत वही होता है जो मन की बात पढ़ ले...
अधर सस्मित हो जहाँ बस नाम उसका लेकर,
उड़ जाये असित बादल मंजु मुख उसका देखकर।
सप्तसुरों के राग-रागिनी उर स्पंद जो भर दे,
सच्चा मीत वही होता है जो मन की बात पढ़ ले...
डॉ.रीमा सिन्हा (लखनऊ )