कविता मैं रोता हूं
तो शब्दों के आंसू निकल आते हैं
कल्पना के इंद्रधनुष में चमक उठते हैं वे
भावना से सम्मोहित होती हैं पंक्तियां
अर्थ और तात्पर्य से भर जाती है कविता....
कविता की आंखों में सपने बसते हैं
सपनों में कवि के अपने बसते हैं
उन अपनों में तुम शामिल हो गजल
कोई गाता है तुम्हें तो नैन हो जाते हैं सजल....
कविता तुम्हें चाहत का आशीष है
सरस्वती हो तुम जहां नतमस्तक हर शीश है
तालियों के गूंज का अलंकार पहनती हो तुम
प्रशंसा के विस्मय में चहकती हो तुम....
महफ़िल की शानो शौकत हो तुम
शब्दों में पीड़ा को देखत हो तुम
सभी को साथ लाना स्वभाव तुम्हारा
शब्द अमृत में सुमन सुखद हो तुम...
ज्ञान विज्ञान में विहार है तुम्हारा
रस में मोद का श्रंगार है तुम्हारा
किताब है शब्दों का आशियाना
कविता के उपवन में सौंदर्य है तुम्हारा...
राम पंचभाई यवतमाल 7020498986