कुछ तुम कहो,
कुछ मैं कहूँ ।
कुछ तुम सुनों ,
कुछ मैं सुनूँ ।
जो तुमने कहा,
मैंने नही समझा ।
जो मैंने कहा
तुमने नही समझा।
प्रेम को शब्दों की,
जरूरत कहाँ होती।
पर...
जो मेरी आँखों ने कहा,
तुमने सुन लिया।
जो तुम्हारी आँखों ने कहा,
मैंने सुन लिया।
शब्दों से ज्यादा
तेरे मेरे प्रेम को
मौन ने अभिव्यक्त कर दिया।
गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता'
कोटा,राजस्थान