निर्माण की प्रगति समीक्षा पांच व छह नवंबर को होगी
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने पूरे विश्व में रामभक्तों को भेजा पत्र
लखनऊ। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को भव्य होगा,इसकी तैयारी में तनिक भी कोताही नहीं होगी। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिन्दू परिषद के सांगठनिक नेटवर्क के जरिए देश के पांच लाख गांवों के हर घर में भेजने की योजना का रुटचार्ट ही नहीं तैयार कर लिया है बल्कि अलग-अलग केंद्रों की भी रचना कर ली है। केंद्रों के माध्यम से पूजित अक्षत व आमंत्रण पत्रक भेजा जाएगा।
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय के मुताबिक पांच नवंबर को रामलला के समक्ष अक्षत पूजन के उपरांत दो सौ प्रमुखों को पांच-पांच किलो अक्षत सौंपा जाएगा। अक्षत दो सौ पीतल के कलशों में रखवाया गया है। पूजन के उपरांत कलश समेत अक्षत का वितरण किया जाएगा। अक्षत को भेजने से पहले आवश्यकतानुसार पुनः इन्हीं पूजित अक्षत के साथ अतिरिक्त अक्षत मिश्रित कर दिए जाएंगे।
विभाग से लेकर प्रखंड न्याय पंचायत स्तर पर अक्षत भेजा जाएगा। इसके बाद न्याय पंचायत के कार्यकर्ताओं की टोली इसे गांवों में पहुंचाएगी। अक्षत वितरण रविवार को मध्याह्न 12 बजे जन्मभूमि पथ पर सुग्रीव किला के निकट किया जाएगा। अक्षत के साथ भेजा जाने वाला पत्रक अलग-अलग प्रांतों की क्षेत्रीय भाषाओं में छपवाया गया है।
सांगठनिक 48 प्रांतों में से हर प्रांत की ओर से चार से पांच लाख पत्रक छपवाया गया है। इस पत्रक का मजमून तीर्थ क्षेत्र के केन्द्रीय कार्यालय से उपलब्ध कराया गया है जिसमें 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर क्षेत्र के स्थानीय मंदिरों में भजन-कीर्तन करने एवं अयोध्या के उत्सव को एलईडी के माध्यम से संजीव दर्शन करने की अपील शामिल हैं।भवन निर्माण समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र रविवार को जन्मभूमि पथ सहित परिसर में निर्माणाधीन परियोजनाओं का अवलोकन करेंगे।
इसके बाद परिसर में ही कार्यदाई एजेंसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रगति की समीक्षा करेंगे। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने 22 जनवरी 2024 में होने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से सम्बन्धित आमन्त्रण पत्र विश्व भर के रामभक्तों को सोशल मीडिया के माध्यम से भेजा है। पत्र में अपील है कि पौष शुक्ल द्वादशी विक्रम संवत 2080 तदनुसार 22 जनवरी के शुभ दिन प्रभु राम के बाल रूप नूतन विग्रह को नवीन मंदिर के भूतल के गर्भगृह में विराजित कर प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
आनंद के इस वातावरण में प्राण प्रतिष्ठा की तिथि पर पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न एक बजे के मध्य अपने ग्राम, मोहल्ले व कालोनी के किसी मंदिर में रामभक्तों को एकत्र कर भजन-कीर्तन करें। एलईडी व अन्य माध्यमों से अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के सजीव प्रसारण को दिखाएं।
शंख ध्वनि व घंटा नाद के साथ आरती करें एवं प्रसाद वितरित करायें। कार्यक्रम मंदिर केन्द्रित हो और श्रीराम जय जय-जय राम के विजय मंत्र का सामूहिक 108 बार जप करें। सायंकाल सूर्यास्त के बाद घर के सामने देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए दीप जलाएं व दीपमालिकाएं सजाएं। विश्व के करोड़ों घर में दीपोत्सव मनाया जाए। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अनुकूल समय में अयोध्या में दर्शन करे।