भोले जब हमको मिलते हैं,
राम-राम हम कह देते हैं,
देख हमें भोले मुस्काते,
सियाराम कह जाते हैं।
भोले जब हमको ....
जग के रक्षक हैं ये भोले,
पल-में इत-उत हैं डोले,
प्रेम की गठरी लेकर भोले,
मन में आस जगाते हैं।
भोले जब हमको ....
खुशियों का सब लेन-देन अब,
भोले ही तो करते हैं,
बांट दिया करते हैं सब कुछ,
फिर खुद ही मुस्काते हैं।
भोले जब हमको ....
धुनी रमाए हैं चंदन की,
भोले मंदिर में बैठे,
ध्यान धरा भोले का मैनें,
भोले उठकर संग चल देते।
भोले जब हमको ....
अर्थ मोह में डूब रहे हो,
कुछ तो अपना ध्यान धरो,
भोले की महिमा कुछ गा कर,
जन-जीवन कल्याण करो।
भोले जब हमको ....
श्वांसों की डोरी जब टूटे,
भोले नाम के अक्षर से,
सत्य शिव जीवन का सपना,
पल में तुम साकार करो।
भोले जब हमको ...
(130वां मनका)
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
सी स्पेशल,गांधीनगर, इन्दौर