भरत मिलाप एवम सीता हरण लीला का भव्य मंचन

सीता लक्ष्मण संवाद पर दर्शक हुए भावुक

सहारनपुर। राधा कृष्ण मंदिर क्लब रामलीला गांधीपार्क द्वारा भरत मिलाप एवम सीता हरण की लीला का भव्य मंचन किया गया। दशरथ के देहावसान उपरांत भरत एवम शत्रुघ्न के ननिहाल से लौटने पर जहां भरत को अपने पिता दशरथ के देहांत और राम वनवास की जानकारी मिलती है तो वह कुपित होते है और शत्रुघ्न तो मन्थरा को लात मारकर महल से ही निकाल देते है।

 भरत के रूप में क्लब के निर्देशक संजीव कौशल ने प्रशंसनीय अभिनय किया जबकि शत्रुघ्न के रूप में सागर भी खूब जमे। वन में परिजनों सहित जाकर भरत जब राम से मिलने पहुंचे तो लक्ष्मण को आभास हुआ कि वे हमला करने आये है और वह क्रोधित हो जाते है। भरत राम से अयोध्या वापिस चलने का आग्रह करते है लेकिन राम अपने पिता को दिए वचन को पूरा करने के संकल्प की बात दोहराते है। भरत मायूस होकर उनकी खडाव सिर पर लेकर अयोध्या वापिस आते है।

 राम के रूप में उद्धव कोदंड एवम लक्ष्मण के रूप में कुशाग्र नैब ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शको को बांधे रखा। सीता के रूप में सोफिया भी खूब जमी। स्वरूप नखा द्वारा राम एवम लखन को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बेहद प्रयास किये  जिसमे मंजू प्रसाद एवम कुरुपनखा के रूप में जगमोहन ने भी उत्कृष्ट अभिनय से दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। लक्ष्मण द्वारा स्वरूप नखा की नाक काटने से आक्रोशित खर तरुण प्रकाश एवम दूषण कुणाल वत्स ने भी दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।

उन्हें लक्ष्मण एवम राम ने मौत के घाट उतारा। गुरु वशिष्ठ एवम जटायु के रूप में अनुज जैन भी बेहद पसंद किए गए। मारीच के रूप में कुणाल वत्स ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी। रावण के रूप में राजीव यादव ने आने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। साधु रावण के रूप में तरुण प्रकाश को भी पसंद किया गया। 

मारीच को सोने का हिरण बनाकर सीता को आकर्षित करने के बाद राम का हिरण के पीछे जाना और रावण का मायावी रूप में राम पर विपदा दर्शाने के बाद सीता एवम लखन के बीच हुए संवाद पर दर्शक भावुक हो गए। लखन के रूप में कुशाग्र नैब ने उत्कृष्ट अभिनय का परिचय दिया जबकि सीता के रूप में ज़ोफ़िया को भी सराहा गया।  

आयोजन को सफल बनाने में प्रधान चौधरी जोगेंद्र कुमार, गुरदीप सिंह बावा, गुरमीत सिंह, राकेश शर्मा, विक्रांत सैनी, आशु शर्मा, संकल्प नैब, विपिन सलूजा,गगन भंडारी, गगन भाटिया, आशु सहगल, मुकेश ढिल्लन का उल्लेखनीय योगदान रहा। मंच संचालन रमेश चंद्र छबीला, राकेश वत्स एवम विनय वत्स ने संयुक्त रूप से किया। रूप सज्जा नीतीश राजपूत एवम सचिन की भी बेहद पसंद की गई। निर्देशन रविन्द्र शर्मा ने किया।