वाराणसी। शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर काशी में हर ओर उल्लास है। देवी के दर्शन-पूजन के लिए मंदिरों में लंबी कतार लगी है। इधर, मंदिर, मठ, संस्थाओं और घरों में कन्याओं के साथ भैरव के रूप में बालकों का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। दूसरी ओर मंदिरों, मठों, संस्थाओं और घरों में कन्याओं के साथ भैरव के रूप में बालकों का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। रविंद्रपुरी स्थित अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान में पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के दिशा-निर्देश पर देवी स्वरूप में 9 कन्याओं एवं भैरव बाबा का पूजन किया गया।
श्री विश्वनाथ मन्दिर बीएचयू के व्यवस्थापक प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय ने मन्दिर में 9 दिन से शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य में चल रहे श्री दुर्गा सप्तशती पाठ की पूर्णाहुति दिया गया। विश्वविद्यालय परिसर में सैकड़ों की संख्या में लोग आज हवन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलेगा।कन्याओं के पांव पखारे गए। इसके बाद उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाकर उनका पूजन अर्चन किया गया। कन्या स्वरूपों का पूजन करके उनको भोग अर्पित किया गया। कन्या भोज के लिए घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए।
चना, हलवा, पूड़ी और दही का भोग अर्पित किया गया। भोज के उपरांत कन्याओं को दक्षिणा और उपहार देकर विदाई दी गई। वाराणसी के पंडित बलराम मिश्र ने बताया कि नवरात्रि में व्रत रखने के बाद 9वीं तिथि पर कन्या पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती है। सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती है। इसके साथ ही कन्या पूजन करने से कुंडली में 9 ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।
कन्या पूजन करने से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि कन्याओं की उम्र 2 तथा 10 साल तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी चाहिए। एक बालक भी होना चाहिए। अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई। कोई भूल की क्षमा मांगें, ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं। भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।