आँसू पोंछने वाला कोई न हो तो
सारा जहां समन्दर बन जाता है ।
निराशा को दूर करने वाला कोई न हो तो
सारा जहां बबंडर बन जाता है।
झगड़े का निपटारा करने वाला कोई न हो तो
सारा जहां दुश्मन बन जाता है।
तू तू मैं को रोकने वाला कोई न हो तो
सारा जहां असहयोग आन्दोलन बन जाता है।
एक तू ही नहीं सब हैं तेरे साथ
समझ लेने से मैत्रीपूर्ण बंधन बन जाता है।
समझ समझ का फेर है समझ लो तो
सारा जहां समझदार बन जाता है।
कविता की तारीफ़ करने वाला कोई हो तो
शब्द शब्द असरदार बन जाता है।
लक्ष्य को पकड़कर नव जागृति लाये
वो भारत का साहित्यकार बन जाता है।
सुमंगला सुमन
मुंबई, महाराष्ट्र