यहां लहरें तड़प रहीं थीं,
उत्साह नहीं थम रहा था,
मन में बेचैनियां थीं,
सन्तोष नहीं हो रहा था,
सिसकियां लेने में भी,
तकलीफ़ हो रही थी,
फिर गुज़रा ज़माना गया,
परिस्थितियों में बदलाव आया,
नवीन जोश और उत्साह से भरपूर,
शासन व्यवस्था का समय आया,
तरह-तरह की परेशानियां,
उभर कर सामने आईं,
मजबूत तरीके से भारतीयता को,
सम्मान और इज्ज़त देने वाली ताकत,
बनकर सरकार आईं,
सशक्त भारत बनकर,
एक खूबसूरत अन्दाज में,
भारतीय संस्कृति को,
उभरता हुआ सितारा मिला,
सबकुछ ठीक रहा,
आज़ वैश्विक सहारा मिला।
सम्मान और इज्ज़त देकर,
आर्यावर्त भरतखण्ड की उत्कृष्ट संस्कृति को,
एक खूबसूरत अन्दाज मिला,
हर क्षण हर पल,
जागृत इतिहास दिखा।
आज़ हर ज्ञान दर्शन को,
भारतीय प्रतिभाएं शिखर पर,
पहुंचने का प्रयास कर रही है,
ताक़त से सारी शुभकामनाएं और बधाइयां मिल रही है,
उमंग और उत्साह से,
भारतीय संस्कृति आज़ गुलजार है,
सब तरफ बस प्यार ही प्यार है,
सशक्त और समृद्ध भारत में,
खुशियां अपार है।
यह एक बड़ी चुनौती थी,
आज़ वैश्विक स्तर पर,
नहीं सामने कोई ठहरता है,
यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति की,
सबसे प्रखर अनुभूति है।
डॉ० अशोक, पटना, बिहार।