कृष्ण कन्हैया बड़े खिलैया,
नाचे ता ता थैया।
ग्वाल बाल सब मिल शोर करे,
देखें श्यामा गैया।
गोप गोपियां सब ढूंढन आए,
आ गई साथ जसोदा मैया।
श्याम वर्ण,पीत वसन,
कटी बंधी धानी चूनरिया,
माथे सजे मोर पंख,
कमर लटके करधनिया।
दसों दिशाएं मुग्ध हुई,
बाजी जब मधुर मुरलिया।
छोट बड़े सब मनावन लागे,
न माने रूठे कन्हैया।
हठ कर ,बैठ गये धरा पर,
अज हांकू मैं तो सारी गैया।
छीन वंशी भागने लागे गोपाल,
पाछे दौड़ लगाएं कन्हैया।
तमाल वृक्ष छैया में बैठी,
ठगी सी देखें जसोदा मैया।
बेला विरदी,
1382, सेक्टर-18,
जगाधरी-हरियाणा
8295863204