मैं खुश हूं कि मैं कुछ तो हूं
लोगों की जवान पर दिलोदिमाग पर
छाई सदा चर्चाओं में,
विचारों में कौंधती बिजली सी
मुझे कुछ होने का एहसास कराते
लगता है मैं कुछ तो जरुर हूं।
कभी तारीफों के पुलिंदों में
कभी आलोचनाओं में
ईर्ष्या से जलती आत्माओं में
महसूस होता है बजूद मेरा
लगता है मैं कुछ तो जरुर हूं।
किसी की यादों में इस कदर छाई
जब भी सुनने देखने में आया
मैं सदा ही अपना नाम पाई
पीठ पीछे सदा जपते नाम मेरा
लगता है मैं कुछ तो जरुर हूं।
ये जालिम जमाना ये नहीं समझता
तुम करते हो बुराई मेरा नाम है चमकता
अग्रसर हुई जो पथ पर हौसला है मिलता
ऐसे ही दोस्तों से मेरा बजूद खिलता
लगता है मैं कुछ तो जरुर हूं।
शुक्र गुजार अलका उन सबकी
करें भलाई या बुराई वे बेबकूफ इतने
बेवफा हो करके भी वफ़ा निभाई
करने चले बुरा पर बुलंदियां में पाई
लगता है मैं कुछ तो जरुर हूं।
सच में लगता है कि मैं कुछ तो जरुर हूं।
मैं खुश हूं कि मैं कुछ तो जरुर हूं।
डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश