भारत में उत्पादित चीजें अपनाना है

भारत में उत्पादित चीजें अपनाना है

इसी अस्त्र से विश्व राजा का ताज़ पहना है

स्टार्टअप इनोवेशन को आगे बढ़ाना है

हमें शक्तिशाली राष्ट्रीय अभियान चलाना है 


प्राचीन संस्कृति का युवाओं में प्रसार करना है

प्राकृतिक संसाधनों को बचाना है

विश्व में भारत को नंबर वन बनाना है

आत्मनिर्भर भारत करने हर उपचार अपनाना है


सर्वशक्तिमान मनीषियों को चेताना है

हमें अपनी नदियों तालाबों को तात्कालिक 

जीवनदायिनी भावना से बचाना है

चिर परिचित भारतीय संस्कृति को अपनाना है 


नदियों तालाबों को सदैव ही उनकी 

जीवनदायिनी शक्ति के लिए सम्मानित किया है 

उस सम्मान को हम मनुष्यों ने 

जी तोड़ कोशिश कर बचाना है 


शहरीकरण और औद्योगीकरण है 

कारण इसका आधुनिकीकरण और लालच ने सभ गंवाया है 

इकोसिस्टम को नष्ट करके 

मानवीय सुखचैन सभ गंवाया है 


लेखक - कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र