आजा रे आजा घनश्याम तू आजा

(शेर)- दीन-दुःखियों के स्वामी , तुमको यह धरती पुकारे।

    अधर्मियों का विनाश करने के लिए, तू घनश्याम आरे।।

   घोर कलयुग आया है और पाप छाया हुआ है घरती पर।

  ऐसे पापियों से भारत को मुक्त कराने, तू कन्हैया आरे।। 

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आजा रे आजा, घनश्याम तू आजा।

राधा पुकारे, राधेश्याम तू आजा।।

आजा रे तू बाँसुरीवाले मुरलीधर।

गोमाता पुकारे, गोपाल तू आजा।।

आजा रे आजा----------------------।।


देवकी के पूत तू यशोदा के कान्हा।

वासुदेव की जान तू ब्रज के ग्वाला।।

नंदबाबा के लाड़ले, बलराम के भ्राता।

रुक्मिणी पुकारे, नंदलाल तू आजा।।

आजा रे आजा----------------------।।


तेरे बिना है, सूनी सूनी यह मथुरा।

बहुत है उदास, सखा सुदामा तेरा।।

गोपियों के संग, कौन खेले अब होली।

माखन चुराने, माखनचोर तू आजा।।

आजा रे आजा-----------------------।।


पाप बढ़ रहा है, घोर कलयुग आया है।

 व्यभिचार- अधर्म का,अंधेरा गहराया है।।

अधर्मियों- पापियों से, धरती को मुक्त कर।

सारा भारत पुकारे, गोविंद तू आजा।।

आजा रे आजा--------------------------।।


शिक्षक एवं साहित्यकार

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां (राजस्थान)