मोहब्बत पुरानी हो गई, ये इमारत गिरानी होगी
दिल लगाने के लिए अब नई सनम बनानी होगी
पुराना क़िस्सा हमारा रिश्ता ख़त्म सा लग रहा है
इश्क़ की फसल एक नई ज़मीन पर उगानी होगी
अलग होने के लिए बहाना बनाने की ज़रूरत नहीं
हमें एक दूसरे को अपनी मजबूरियाँ बतानी होगी
तुझे कोई और मिल जाएगा और मुझे कोई और
पुरानी बस्ती छोड़ कहीं और बगिया बसानी होगी
हाँ प्यार है, हाँ प्यार है, कब तक झूठ कहते रहेंगे
बेजान चीज़ रोकर सही आख़िर में दफ़नानी होगी
न बात करने का वक्त, न मिलने की मोहलत है
अलविदा कर पाने की थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी
झील सूखने लगी है तो ये माँझी के लिए इशारा है
ज़िन्दगी की नाव समंदर की तरफ ले जानी होगी
हिज्र की रात में जागने का फायदा कुछ नहीं होता
सो जाएं चलो, दुआ करके कि सुबह सुहानी होगी
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अवतार सिंह अक्षरजीवी
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