खत्म हो रही है इंसान की इंसानियत
जहानागंज आजमगढ़ : आज वैज्ञानिक युग में कामयाबी की दिशा में मानव ने भले ही ऊंचाइयों पर पहुंचने में सफलता प्राप्त कर ली है परंतु समाज में भाईचारगी और आपसी सौहार्द की कमी इंसान को इंसान से दूर करती चली जा रही हैं एक जमाना था जब सावन के दिनों की कजरी और फागुन के दिन में लोगों द्वारा गाए जा रहे चौताल लोगों को आनंदित करते थे परंतु आज सावन की कजरी और फागुन का चौताल विलुप्त होता नजर आ रहा है ।
सावन के दिनों में जगह-जगह महिलाओं द्वारा गायी जा रही मनभावनी कजरिया सुनने को मिलती थी और फाल्गुन के दिनों लोग सदा आनंद रहे एही द्वारे मोहन खेलत होली और तरह के चौताल व चहका गाया करते थे परंतु आज हर तरफ इन सब का अभाव दिखता नजर आ रहा है न तो पहले जैसा प्रेम और ना ही एक दूसरे के प्रति कोई सहयोग होली में जहा लोग सब कुछ भूलकर एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर दुश्मनी को भुला कर वास्तविक प्यार जताते थे वही आज सब कुछ डुप्लीकेट ही नजर आ रहा है और नहीं तो यदि गौर से देखा जाय तो आज के माहौल में छोटी-छोटी बातों पर इंसान ही इंसान का दुश्मन बन जा रहा है ।
जिसके चलते इंसान असामयिक कालकवलित होता जा रहा है ऐसे में हम तमाम उपलब्धियों के बावजूद भी किसी प्रकार के सुखचैन और शांति का अनुभव नहीं करते हमारी पुरानी भारतीय संस्कृति और सभ्यता आज भी पूरे देश में अनुकरणीय है काश हम सफलताओं के साथ-साथ अपनी पुरानी मर्यादाओं को साथ साथ लेकर चलने की बात सोचते तो शायद समाज में संस्कारों और विचारों में इतनी गिरावट नहीं होती और ना ही हम सभी को इसका प्रायश्चित भोगने का दुख प्राप्त होता आज भी गांव में बूढ़े बुजुर्ग पुरानी बातों की जब चर्चा करते हैं ।
तो मन भर आता है और उन दिनों की कल्पना मात्र करने से मन को बड़ा सुकून और शांति महसूस होता है गाँव के बुजुर्ग चर्चाओं के दौरान डबडबाई आंखों से इस बात को कहते हैं की आज बदलते जमाने में सब कुछ बदल चुका है यहां तक कि इंसान का चेहरा मुखोटा सब बदल गया है आज किसी पर किसी का विश्वास नहीं रह गया है काश वह पुराना दिन और पुराने लोग लौट के आते और हैम एक साथ बैठकर फाल्गुन में चौताल का आनंद लेते और भूले भटके लोगों को सही मार्ग पर चलने की नसीहत दे जाते तो हमारा गांव हमारा जिला हमारा प्रदेश देश सब कुछ वही सोने की चिड़िया वाला देश हो जाता और हमें वास्तविक सुख की अनुभूति होती।
कमलेश राय
अध्यक्ष
पत्रकार वेलफेयर सोसायटी