जिंदगी, कभी - कभी......
होश में लेआती है,
होश उड़ा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी......
जीवन के.....हैं रस्ते हज़ार,
किस पर हम, करें एतबार।
कुछ उलझन सुलझाती है,
कुछ उलझा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी......
कौन सा पल..... है मीत अपना,
कौन सा पल...... वैरी अपना,
कौन सा पल...... कैसा अपना।
रहती है खामोश कहीं,
कहीं बता भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी.......
समझते रहे..... जिन्हें हम फूल,
वह थी अपनी.... बड़ी भारी भूल।
कभी भरोसा देती है,
कभी मिटा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी......
कितने हम...... सहे तूफां,
अपनी भी...... है थकती जां।
कभी तो आग लगाती है,
कभी बुझा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी......
दिल में हैं...... जो इतने गम,
किसको हम..... दिखाएं जख़म।
नमक छिड़क भी जाती है,
मरहम लगा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी.......
जिंदगी..... के रूप अनेक,
एक ज़मीं..... हैं पौधे अनेक,
एक गगन...... हैं तारे अनेक।
ठोकर भी दे जाती है,
गले लगा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी........
होश में ले आती है,
होश उड़ा भी जाती है।
जिंदगी, कभी - कभी.......
जिंदगी, कभी - कभी......
रचयिता - सलोनी चावला