जब सावन आता, सच्चा नाता, उमड़े बहना प्यार |
भाई बँधवाये, मन हर्षाये, प्रेम जगत का सार ||
थाल सजाये,तिलक लगाए, राखी बाँधे हाथ |
ये रिश्ता न्यारा, भाई प्यारा, देता हरदम साथ ||
ये रेशम डोरी, प्रीत घनेरी,रक्षा करना धर्म |
है सबसे प्यारा,भैया मेरा, जाने अपना कर्म ||
हित उसका जाने, बहना माने, अनुपम ये त्यौहार |
जब राखी आये, उर हर्षाये, जाने ये संसार ||
है बना सहारा, भैया प्यारा, रखता बहना ध्यान |
मन मंगल चाहे, मेरी राहें, करता है आसान ||
मैं करती वंदन, मन अभिनंदन, सदा रहे ये साथ |
मन सच्चा नाता,कष्ट मिटाता, रखता स्नेहिल हाथ ||
शुभ रक्षा बन्धन, प्रभु से वंदन, करती मैं हर बार |
भरपूर प्रेम हो ,कष्ट दूर हो,अमर रहे संसार ||
सत प्रेम समर्पण, भैया अर्पण, मेरे मन के भाव |
निज मन सुख पाए, राखी आए,रखती मन में चाव ||
नव सुख रस लेकर, मन को छूकर, आया भैया द्वार |
है पहले रक्षा, भाव सुरक्षा, मिलता नव उपहार ||
जब व्रत मैं रखती, भैया कहती, राखी बाँधी हाथ |
तुम रक्षक बनना, प्रण ये करना, देना हरदम साथ ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ