सहारनपुर। बसपा पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल द्वारा उच्च न्यायालय लखनऊ में अपने ऊपर की जा रही अवैधनिक कार्यवाही को चुनौती देते हुए विस्तृत कानूनी प्रक्रिया से अवगत कराया है जिसमे भारत सरकार के गृहसचिव को विपक्षी पार्टी बनाया है जिसमे 24 अगस्त 2022 को प्रतिउत्तर के लिए संबंधित न्यायाधीश शेखर कुमार ने आदेशित करते हुए एक सप्ताह में रिजवाइंडर की अनुमति भी दी है।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं राम प्रकाश पांडेय, अभिशेख मिश्रा, अनुराग शुक्ला के माध्यम से 14 जुलाई को प्रेषित 5 पृष्ठीय शपथ-पत्र सहित दिए प्रार्थना पत्र में उल्लेखित किया है कि उनका एवम उनके परिवार का शोषण राजनीतिक विरोध के कारण हो रहा है जबकि वह भी बहुजन समाज पार्टी से विधान परिषद उत्तर प्रदेश के संम्मानीय सदस्य रहे हैं और उन्होंने ही बहुजन समाज पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में सफलता हासिल की है, इतना ही नही उनके छोटे भाई महमूद अली भी बसपा से निर्वाचित विधान परिषद सदस्य 2016-2021 तक रहे है। उनके द्वारा नीलामी में खरीदी गई शुगर मिलो के बाद ही उनका तरह-तरह से उत्पीड़न और प्रताड़ना शुरू की गई थी।
उन्होंने जहां कम्पनीज़ एक्ट में किये मुकद्दमे का उल्लेख करते हुए दिल्ली की द्वारका कोर्ट में उनके लंबित होने एवम उन्हें उपलब्ध न्यायिक सहयोग का उल्लेख किया है वहीं सर्वाेच्च न्यायालय से भी मिली राहत का उल्लेख करते हुए स्थानीय एवम प्रांतीय स्तर पर उनका शोषण नियमित जारी रखने का उल्लेख किया है। उन्होंने प्रार्थना-पत्र में जहां 18.5.2022, 04.06.2022 एवम 15.6.2022 में उनके आवास पर पुलिस के आने और परिजनों के उत्पीड़न का उल्लेख करते हुए कहा है कि जब परिजनों द्वारा ये बताया गया कि मामले न्यायालय में लंबित है और न्यायालय द्वारा राहत दी गयी है तो परिजनों को अन्य मामलो में शामिल होने की बात यही गयी है। उन्होंने उल्लेख किया है कि एक स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम का गथांकिया गया जबकि 16.6.2007 माननीय सर्वाेच्च न्यायालय में राजनीतिक रूप से उत्पीड़न किये जाने की आर्टिकल 32 में दायर की गई है।
और उक्त के क्रम में ही सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा 31 मई 2022 को अपने आदेश में प्रार्थी को राहत प्रदान की गई है। उन्होंने शपथ-पत्र सहित दिय्ये प्रार्थना पत्र में सुस्पष्ट लिखा है कि उनके उत्पीड़न के लिए उनके विरुद्ध अपराधिक मुकद्दमे दर्ज करने की नई खोज की है जिसमे उनके और उनके परिजनो के विरुद्ध जून माह में ही 9 एफआईआर दर्ज की गई है जिन्हें न्यायालय में चुनोती दी गयी है और उनमें से 6 पर राहत भी मिली है और शेष पर भी उन्हें उसी प्रकार राहत मिलने की स्थिति बनी हुई है। उन एफआईआर का उद्देश्य केवल प्रार्थी का उत्पीड़न करना ही है। उक्त के क्रम में ही सीबीआई द्वारा भी एक एफआईआर संख्या आरसीओ 062019।0005/2019 आई पी सी की धारा 420, 468,471, 477ए और 629ए कम्पनीज़ एक्ट में दर्ज की है जबकि पूर्व में ही लखनऊ उच्च न्यायालय ने दिनांक 3.12.2019 को विस्तृत आदेश निर्गत किये हुए हैं।
उन्होंने स्वयं के गिरफ्तार होने की स्थिति में अपने जीवन से भी हाथ धो बैठने का उल्लेख करते हुए एस एफ आई ओ की भूमिका को भी ठीक वैसे ही चुनोती दी है जैसे एस टी एफ द्वारा विभिन्न तरह से जांच के नाम पर उनके उत्पीड़न करने के प्रयास जारी है। इसके अतिरिक्त उनके दो घरों के ध्वस्तीकरण किये जाने को भी उत्पीड़न के क्रम में शामिल किया गया है। न्यायाधीश शेखर कुमार ने हाजी इकबाल को जांच में सहयोग करने के आदेश सहित अगली तिथि 24 अगस्त 2022 निश्चित की है तथा विपक्ष से सम्बंधित प्रार्थना-पत्र का प्रतिउत्तर शपथ-पत्र सहित दर्ज करने को आदेशित किया है। इसके अतिरिक्त रिजवाइंडर एक सप्ताह में किये जाने की सहूलियत भी दी है।