एक मुश्किल हालात में डाल देता है। इस घटना के बाद महाराज और उनके चेले उन पर ऊंगली उठाने लगते हैं। अब रामजी का फैसला क्या होगा और इससे बाला के साथ उनके रिश्ते पर क्या असर पड़ेगा? एक पिता अपने बेटे को सही और गलत का पाठ कैसे पढ़ाएगा?
इस ट्रैक के बारे में विस्तार से बताते हुए, जगन्नाथ निवांगुणे ऊर्फ रामजी सकपाल ने कहा, ‘‘रामजी अपने हर बच्चे से एकसमान प्यार करते हैं और उन्होंने हमेशा ही उन्हें अच्छे संस्कार दिये हैं। भीमराव दृढ़ इच्छाशक्ति वाला एक बालक है, जो सही के साथ खड़े रहने में विश्वास करता है। दूसरी ओर, बाला के इरादे बुरे नहीं है, लेकिन वह जो रास्ता चुनता है और जो भी करता है, वो हमेशा सही नहीं होते हैं। इससे रामजी और उसके बीच हमेशा ही नोंकझोंक होती रहती है और बाला को लगता है कि रामजी उसे प्यार नहीं करते और हमेशा भीमराव का पक्ष लेते हैं। रानी के साथ बाला के भाग जाने से रामजी बहुत बड़ी दुविधा में फंस गये हैं। इस मामले में वह भीमराव का सपोर्ट करते हैं, जिससे बाला के मन में अलगाव की भावना पैदा हो जाती है। कैसे करेंगे रामजी इस चुनौती का सामना? वह बाला को फिर से सही रास्ते पर कैसे लायेंगे?‘‘
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