राष्ट्रीय एईएफआई समिति के सलाहकार एनके अरोड़ा ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार इन सब 28 मौत में से 1 मौत वैक्सीन की वजह से हुई है. तीन लोगों को Anaphylaxis (वैक्सीन लेने के आधे घंटे के अंदर शरीर में हुए सीवियर रिएक्शन के तौर पर माना जाता है) की शिकायत आई है. दो अस्पताल में भर्ती होने के बाद ठीक हो गए जबकि 1 की मौत हो गई. कुल 31 सीरियस AEFI में से 18 मामले आकस्मिक रहे, जिनका वैक्सीन से कोई नाता नहीं रहा है. 7 मामले ऐसे थे जिसमें मरीज की स्थिति टीकाकरण के तुरंत बाद बिगड़ गई लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिनसे साफ हो कि यह टीके के कारण हो रहा है.
तीन मरीजों में वैक्सीन उत्पाद संबंधित समस्या देखने को मिली तो वहीं दो मरीजों को अनक्लासीफाइड कैटेगरी में रखा गया है क्योंकि इनकी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं थी. एक मरीज की तबियत अत्यधिक चिंतित होने के कारण बिगड़ गई थी. इस तरह कुल 31 मामलों में से एक की मौत वैक्सीन के कारण हुई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन के फायद, उससे होने वाले नुकसान की तुलना में बहुत ज्यादा है. मंत्रालय ने इस विषय पर अपने बयान में कहा कि किसी भी मरीज के गंभीर होने या फिर मौत हो जाने का सीधा संबंध टीकाकरण से नहीं निकाला जा सकता है. अप्रैल के पहले सप्ताह के डाटा के अनुसार टीकाकरण के कारण मृत्यु दर 2.7 प्रति 10 लाख है जबकि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर 4.8 प्रति 10 लाख है.