"सुनो, नेटफ्लिक्स पर बढ़िया मूवी आ रही है, आओ देखते हैं।" संजीव ने कहा
अनीता ने जोर से कहा," नही देखना मुझे, जब मैं बोलती थी ले चलो आज नई मूवी लगी है, काम में व्यस्त रहते थे।
अब तो सारी इच्छाएं समाप्त हो गयी ।"
लगातार कुछ दिन से अनीता देख रही थी, संजीव उसपर बहुत ध्यान देने लगे थे, हर काम मे हाथ बटाते, वाक पर जाते समय भी हाथ पकड़ के बहुत ध्यान रखते। स्वभाव में बदलाव दिख रहा था, जहां हमेशा पंखे की स्पीड को लेकर भी वो बहस करते थे, बड़ी शांति से अब सारी बात मान लेते थे ।
एक दिन अनीता ने पूछ ही लिया," एकाएक स्वभाव में बदलाव कैसे ?"
"सुनो, 2 दिन पहले पार्क में मिश्रा जी मिले थे, भावुक होकर रो पड़े। जीवन भर पत्नी से छोटी छोटी बातो में बहस करता रहा, अपने को श्रेष्ठ श्रेणी में सजाता रहा, और कल चार दिनों की बीमारी में चुपके से मेरी जिंदगी से निकल गयी । 24 घंटे में हज़ारों बार उससे माफी मांग चुका, पर अब वो कहाँ सुनने वाली ।"
जीवन का जितना भी मेरा गिना चुना वक़्त बचा है, सब तुम्हारी इच्छा पूरी करने में ही बीतेगा ।
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर